Warna patharo ko taj mahal kaun kaheta!!!

Mere jeene ke liye tera armaan hi kaafi hai,
Dil ke qalam se likhi ye dastaan hi kafi hai,
Teer-e-talwaar ki tujhe kya zaroorate ai nazneen,
kattl karne ke liye teri muskaan hai kafi hai.
Agar hum na hote to tujhe gazal kaun kahta,
Tere chehre ko kamaal kaun kahta,
Yeh to karishma hai mohabbat ka,
Warna patharo ko taj mahal kaun kaheta??

Haqeeqat karo byaan to mazaak lagta hai...

Haqeeqat karo byaan to mazaak lagta hai,
ibaadat karo jab to jhootha khwab lagta hai,
Are ye dil hai dil, aur dil ki hai ye sdaa,
aur tum kehte ho ki tumhe ye haseen ittfak lagta hai..

Mere tute hue dil ko sahaara kaun dega....

Mere tute hue dil ko sahaara kaun dega,
Meri tufaan me kasti ko kinara kaun dega,
Yah kis mod pe le aayi hai mujhko jindagi,
Adhuri si likhi gayi hai kyo meri kahaani hai,
Mere tute hue dil ko sahaara kaun dega.
Mai hun aur saath mere aab meri tanhayina hai,
Meri takdeer se mujhko mili ruswaeeya hai,
Meri aankho ko khushiyo ka nazaara kaun dega,
Mere tute hue dil ko sahaara kaun dega...

मेरी आंखो को दर्द छुपना नहीं आता...

मेरी आंखो को दर्द छुपना नहीं आता, मिलती है खुशी तो उसे खोना नही आता, सह लेते हैं हर गम मुस्कुराकर, और लोग कहते हैं हमे रोना नहीं आता!!!

कुछ गलतफ़हमिया का खिलौना चुर-चुर होता है...

मैं जानता हुं की यह ख्वाब झुठे है, और यह खुशीयां अधुरी है,
मगर ज़िन्दा रहने के लिए मेरे दोस्त, कुछ गलतफ़हमिया ज़रुरी हैं।

उल्फ़त का आखिर यही दस्तुर होता है, जिसे चाहो वह ही अपने से दुर होता है,
दिल टुट कर भी बिकरता है इस कदर, जैसे खोये कांच का खिलौना चुर-चुर होता है!!

वो जो कल था और अपना भी नहीं था दोस्तों....

रहो जमीं पे मगर आसमां का ख्वाब रखो तुम अपनी सोच को हर वक्त लाजवाब रखो,
खड़े न हो सको इतना न सर झुकाओ कभी तुम अपने हाथ में किरदार की किताब रखो,
उभर रहा जो सूरज तो धूप निकलेगी उजालों में रहो मत धुंध का हिसाब रखो,
मिले तो ऐसे कि कोई न भूल पाये तुम्हें महक वंफा की रखोऔर बेहिसाब रखो,
अक्लमंदों में रहो तो अक्लमंदों की तरह और नादानों में रहना हो रहो नादान सा,
वो जो कल था और अपना भी नहीं था दोस्तोंआज को लेकिन सजा लो एक नयी पहचान से !!!

बिगड़ा मेरा नसीब तो सब कुछ.....

बिगड़ा मेरा नसीब तो सब कुछ सनवर गया, कांटो पे मैं गिरा और जमाना गुज़र गया,
तूफ़ान से थक कर मैने पतवार छोद दिया, जब डूब मैं चुका था समुंदर ठहर गया,
टुकड़े तेरे वजूद के फैले थे मेरे पास, उनको समेटने में मेरा वजूद बिखर गया,
मंज़िल को ढुंढता था मुसाफ़िर यह क्या हुआ एक रहगुज़र पे उसका सफ़रब ही बिछड़ गया,
डलने लगी है रात चले जाओ दोस्तो मुझको भी ढ़ुढ़ना है मेरा घर किधर गया।

तु चांद है जिसे सब याद...

तु चांद है जिसे सब याद करते है, पर हमारी किस्मत तो तारों जैसी है,जिसको याद करना तो दूर है,लोंग अपनी खुशी के लिये, हमारे टूटने का इन्तज़ार करते है।।।